Wednesday, June 2, 2010

मिलग्यो... मिलग्यो...

लारलै कैयी दिनां सूं गीगलौ आप रै नांव री थरपणा रो इंतजार करै हो अर म्हारा सैंग रिस्तेदार अर सुभचिंतक ई। पण म्हैं इण मामलै में कीं बेसी ई संवेदनशील हुर्ययो हो। तीस जून नांव थरपण सारू तै दिन हो। बीं दिन घांघू रा मानीजता पंडित सिरी महावीर प्रसाद महर्षि जका कदै ई खुद म्हां रो ई नामकरण संस्कार संपन्न करायो हो, म्हारै आंगणियै पर्धाया। परंपरा रै मुजब विधि-विधान रै बाद आप रो पतड़ो देख‘र वै बतायो कै सिंग रासि पर कोयी नांव आपां थरप सकां हां। वै कैयी नांव ई आप कानीं सु सुझाया अर वां मांय सूं अेक नांव ‘मोहन’ री’ फूंक ही नानड़ियै रै कान में मार दी। म्हैं वीं दिन सूं ही ‘म’ सूं सरू हुवण वाळै सुवणै से नांव री तलास में हो।
बडेरा भाई दुलाराम तीस जून नैं दोपारी मांय एसएमएस कर‘र पूछ्यो कै नानड़ियै रो नांव कांई तै हुयो। म्हैं पड़ूत्तर में ‘मोहन’ लिख‘र भेज्यो तो वां रो जवाब आयो- ‘मोहन दास कुमार चंद घांघू’ । वां रो मैसेज पढ‘र म्हें हांस्या बिना नीं रैय सक्यो।

पण नांव तो कोयी ओर ही तै हुणो हो। सो म्हैं अेक लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनायी। म्हैं कई भायलां नै मैसेज कर बढिया सो नांव पूछ्यो। सगळा आप-आप रै हिसाब सूं आप री राय दी अर कैयी सुवणा नांव म्हारी सामीं आया। इण लिस्ट में अै सैंग नांव सामिल हा- मृणाल, मोहनीश, मुकुल, मुंकुद, मयंक, मयूर, मानव, मृदुल, मनमीत, मीतेश, मधुर, मधुकर, मधुप, मातेश, मिट्ठालाल, मुसद्दीलाल, मोहनलाल, मनोहर लाल, मोतीलाल, मिहिर... अैड़ा घणा नांवां रा सुझाव आया। भाई गौरव शर्मा आप रै सुझाया नांवां री लिस्ट में ओजूं अेक नांव सामिल करणो नीं भूल्या... माउंट एवरेस्ट। वां री भावनावां अर सुभकामनावां रो सम्मान करू। सैंग भायला अर सुभचिंतका रो ई हिड़दै सूं आभार कै वै इण प्रक्रिया में सामिल हुया। आ कामना करूं कै वां रो ओ ही प्यार अर दुलार गीगलै नैं मिलतो रैयसी अर गीगलौ नांव म्हारो रोसन करसी।
पण अै सगळा नांव ई तै नीं हो सक्या। ईस्यो कोयी नांव सामीं नीं र्आयो हो, जकै नैं सुणता ई कैयो जा सकै कै, ‘ हां, ओ ही।’ आज दो‘पारां मित्र चंद्रशेखर पारीक दफ्तर में आया। वै आंवता ई पूछ्यो, गीगलै रो हाल अर वीं रो नांव। नावं सारू म्है वां नै ई पूछ लियो, कै आप बतावो। वै पड़ता ई बोल्या- मैत्रेय। अर म्हैं मन ई मन कैयो कै - ‘’ हां, ओ ही’ । फेरूं ई मनड़ै रै संतोख सारू मित्र राजीव नै पूछ्यो। थोड़ो मनन कर‘र वै ही बोल्या- ‘हां, ओ ही’ । इयां नांव तै हुग्यो।

इब आप गीगलै नैं मैत्रेय कैय‘र पुकार सको। नांव की भारी-भरकम है। जिम्मेदारी हाळो सो काम है पण गीगलै सूं आस करूं कै नांव रो बोझ, जिम्मेदारी नैं उठासी। आप सैंग री सुभकामनावां जरूरी है...

1 comment:

  1. कुंती रो पुत्र कौतेय, मैत्रेयी रो पुत्र मैत्रेय।

    मिहिर ई कम कोनी। क्‍यूं के मिहिर संस्‍कृत रो सबद है अर उण रो अरथ चांद ई हुवै अर सूरज ई हुवै।
    सूरज बरणो तेज अर चांद बरणो सीतळ।


    बिंयां म्‍हारो दखल चंद्रशेखर पारीक री बात मांय कोनी। आ म्‍हारी बात है।
    (क्‍यूंकै मैत्रेय रो एक अरथ सूरज ई हुवै।)

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