Thursday, May 27, 2010

गीगलै नैं हंसावै बेमाता...


आजकालै गीगलै कन्ने वीं रा नानीजी आयोड़ा है। नानीजी गीगलै रो घणो कोड करै अर एक घड़ी ही गीगलै नैं छोड‘र नीं जावै। गीगलो ई नानीजी रै साथै घणो राजी है। नानीजी गीगलै रो घणो ध्यान राखै अर साथै ही आप री गीगली रो ई। गीगलै रा दादीजी यानी म्हारी मां ई गीगलै री नानीजी रै आवणै सूं घणी सौराई मैसूस करै क्यूंके इण सूं वां नैं ई घणो आराम होयग्यो। नीं तो गीगलो एक घड़ी री ही फुरसत नीं लेवण देंवतो।


नौकरी अर दूजां कामां सूं घड़ी दो घड़ी फुरसत मिलै तो म्हैं ई गीगलै नैं गोदी ल्यूं, खिलावूं अर कोड करूं। पण गीगलो हाल म्हारै इसारा पर नीं हांसै। म्हैं घणी कोसिस करूं तो नीं हांसै। हां, आप री मरजी हुवै जद मुळक‘र जी राजी कर ज्यावै। गीगलै रा नानीजी कैवे, कै हाल गीगलै नैं बेमाता हंसावै, रूवावै। बेमाता हंसावै, जद गीगलो सुत्यो-सुत्यो नींदा में ई हांसै। बेमाता री माया ई अपरंपार है...।


खैर, तीस तारीख यानी रविवार नैं गीगलै रो नांव थरपीजसी। हाल म्हैं सगळा घरवाळा नावां माथै घणो चरचो करां पण हाल की तै नीं हुय सकै। पंडत जी रासि बतासी, बीं रै बाद ई कोयी नांव तै हुय सकै। पण फिलहाल जित्ता मुंह, उत्ता ही नांव।

Tuesday, May 25, 2010

सुभकामनावां, बधाइयां अर धन्यवाद...

22 मई नैं ब्रह्म-मुहूर्त में लाडलै रो जलम मेरी जिनगाणी की सैंग सूं ज्यादा खुसी देवण वाळी घटना है। म्हें ई नीं, म्हारै घर रा सगळा ही सदस्य भोत ई खुस है। अस्सी रै औळै-दोळै रा म्हा रा दादीजी, म्हारी मां, म्हारा पिताजी, म्हारा भाईजी, भाभीजी अर छोटी भैण ममता सगळा री खुसी रो पार नीं है। और भी सगळा रिस्तेदारां, सगा-परसंग्या री सुभकामनावां मिल रैयी है। ई खुसी मांय घणो ईजाफो हुय जावै है जद परिवार रै अलावै किणी और री सुभकामनावां मिलै है। 22 मई री 5.40 एएम रै पछै सैकड़ूं लोगां आप री सुभकामनावां म्हा नैं दीन्यी है। बडेरा भाई साहित्यकार दुलाराम सहारण अर पत्रकार अरविंद चोटिया म्हारै लाडलै रै जलम री घटना रो इत्तो बेगो प्रचार--प्रसार र्कयो कै हाथूंहाथ फोनां अर मैसेजां री लैण लागगी। अै दोनूवां री वजै सूं इत्ती सुभकामनावां मिली कै म्हनैं कैयी दफा तो ईयां लागै लाग्यो जाणै म्है भोत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति हूं अर कित्ता लोगां रो जुडाव म्हारै साथै है। कित्ता ई नांव ईस्या हा, जका सूं खुद म्हनैं मिल्यां लांबो बगत बीतग्यो पण वै ई मौके म्हनैं सुभकामनावां देणी नीं भूल्या। एवरेस्ट फतह करणै वाळा भाई गौरव शर्मा आप रै बधाई संदेश मांय लिख्यो कै म्है म्हारे लाडलै नैं वां रै साथै एवरेस्ट माथै जरूर भेजूं।
पण आ सुभकामनावां मांय एक बात विसेस रैयी। घणखरा लोगां मोबाइल सूं संपर्क कर सुभकामनावां दीन्यी। हाथूंहाथ मिलणों संभव भी नीं हुवै। पण सुजानगढ रा भाई घनश्याम नाथ कच्छावा री सुभकामनावां जद म्हनैं चिट्ठी रै जरियै सूं मिली तो घणो हरख हुयो। आजकालै कुण किणनै चिट्ठियां लिखै। हर आदमी बगत रो गुलाम है। पण चिट्ठी मिलणै पर जको आणंद अर उमाव मन मैं पैदा हुवै, बिस्यो अणभव मोबाइल रै मैसेज नीं देय सकै। भाई घनश्याम जी री चिट्ठी ई वास्तै अणमोल है कै आजकालै अै चिट्ठियां दुर्लभ प्रजातियां में शामिल हुयगी है। भाई घनश्याम नैं घणो-घणो धन्यवाद। अर और सगळा सुभचिंतकां नैं ई घणौ-घणौ धन्यवाद जका म्हारै नानड़ियै नैं आप री आसीस अर सुभकामनावां दीन्यी है।
एक ओर खुसी री बात आ है कै ज्यादातर मैसेज राजस्थानी भासा में लिख्योड़ा मिल्या है। जै जै राजस्थान, जै जै राजस्थानी।
फेर मिलां...

Saturday, May 22, 2010

गीगलो

गीगलो,
मतलब नान्‍हो टाबर,
नवजात शिशु।

आज दिनुंगै 5 बज'र 40 मिनट रै शुभ मुहुर्त म्‍हारै आंगणै पगलिया मेल्‍या गीगलै।

हरख अर उमाव रो बगत।

आप सैंग री आसीस।