Monday, January 17, 2011

इब जी सो‘रो है गीगलै रो...

गीगलै री सरदी सूं आ पैली टक्कर ही... गीगलै नें इत्ता दिन ओ ठा ई नीं हो कै अठै सरदी रा दिन इयां करड़ा निकलै। अर गीगलै रै भाग सूं इबकाळै सरदी क्यूं और ई करड़ी ही। पैली सूकी सरदी पड़ी। फेर पावठ होगी। कैयी दिन पावठ होवणै सूं गीगलौ बारै ई नीं निकळ सक्यो। फेर धूर अर कोहरै सूं मौसम सरद रैयो। इण बिचाळै गीगलौ सरदी-जुकाम री चपेट में आयग्यो। सरदी-जुकाम निमोनियै रो रूप ले लिन्यौ। बां दिनां में गीगलौ गोयल अंकल री दवायां रा खूब मजा लिया। एक दिन तो ग्लूकोज री ड्रिप ई लगाणी पड़ी। पीड़ा रा वां दिनां में ई गीगलै री हिम्मत तारीफ रै काबिल रैयी... गीगलौ बीमारी रै आगै कदेई हार नीं मानीं। पण फेर ज्यान कोडीक ही। सो कीं कमजोर सो निगै आवै लाग्यो...। थोड़ी सुस्ती ई रैंवती। बारै ठंडी हवा चालती अर चौबीस घंटा बिस्तरां मांय गीगलै रो जी नीं रमतो... खैर, इब दिन कीं ठीक है... ऊबरैळो सो है... गीगलौ सारै दिन रमै गुवाडी में... रेत में गुडालिया चालै जद वीं रो ई जी सोरो रैवे अर वीं री परदादी, दादी, दादै, मम्मी, पापा, ताऊ-ताई अर बाकी सैंग देखणिया रो ई।

आजकालै वीं री भुआ ममता ई आपरी गीगली साथै गीगलै कन्नै आय रैयी है। गीगलौ बियां तो भुआ कन्नै खूब राजी रैवे। पण गीगली लकीनैं जे कोयी दूसरो ले लेवै तो फेर इसकोहोज्या। रोवै, जाणैं कैंवतो होवै, गीगली नैं छोड, मन्नैं ले।

दो चार-दिन सूं अेक नाम बोलै ई लाग्यो- टाटा। हाथ हलावै अर बोलै - टाटा। सगळा रीं मनुहार पर बोल ज्यावै। ओर ई भोत कीं बोलै। पण म्हारै समझ नीं आवै। म्हारै के, किण रै ई नीं आवे...। हां, दो-चार दिन पैली डीडी उर्दू पर अेक मुसायरो सुणै हो म्हें। गीगलौ ई बिस्तरां में रमै हो। इत्तै में ही टेलीविजन पर अेक शेर पर सगळा बोल्या- वाह! वाह! अर गीगलौ ई दाद दिया बिना नीं रैय सक्यो। चाणचकै ई बोल्यो- वाह!म्हैं भोत खुस होयो। बडो होसी जद मेरी सगळी कविता अर गजल सुणा देस्यूं। अेक श्रोता तो तैयार होयो। इब आणै वाळे बगत में साहितकारां नैं श्रोता अर पढेसरी इयां ई त्यार करणा पड़सी।

आज दिनुगै गीगलौ आप रै दादै री गोदी में हो। इत्ते में ही अेक कागलो मुंडेर पर आयर बैठ्यो। गीगलो बियां चिड़ी-कागला नैं देखर घणो राजी रैवे। दादोजी कागलै नैं देखतां ई बोल्या- देख, बेटा काग।अर गीगलौ ई पड़ूत्तर दिन्यौ- काग।म्हैं सगळा भोत खुस होया।

गीगलै नैं गोडालिया चालता कई दिन होग्या। इब उडीकां- कद पगां चालै। बियां कोसिस घणी करै, खड़्यो हुवणै री। म्हारा हाथ पकड़र खड़्यो ई होयज्या। पण आपूंआप कद खड़्यो होवै, उडीक है...




Thursday, January 6, 2011