Friday, November 5, 2010

ताऊजी री स्मृति नैं निंवण

दिवाळी रै ईं मोकै जद कै सगळा आप-आप रै ढंग सूं त्योहार मनावणै री धुन में लाग रैया है, म्हारो मन जाबक फीको है... लारड़ी दिवाळी सूं ठीक पैल्यां बडोड़ा भुवाजी सगळा नैं छोड चल्या गया हा। ईं बार गीगलै रा बड़ा दादोजी अर बडा ताऊजी श्री श्यामलाल जी आपणै बीचाळै नीं है। 16 अक्टूबर नैं ताऊजी भी सगळा नैं छोड भीर हुयग्या। वां री स्मृति नैं निंवण...

Thursday, August 26, 2010

भाई-भैण

रानू (रश्मि) अर मैत्रेय



गीगलै रा कीं ओर पोज

25 अगस्त 2010 नैं लिरीज्योड़ा गीगलै रा कीं ओर फोटू आप री नजर...












Tuesday, June 22, 2010

कुवापूजन

21 जून नैं गीगलै रै जलम रै उपलक्ष में कुवापूजन रो कार्यक्रम हुयो। इण मौके जीमणै रो छोटो सो आयोजन राख्यो गयो, जिण में गीगलै रा घणा सुभचिंतक भेळा हुया अर गीगलै नैं सुभकामनावां दीनी।



मा री गोदी में गीगलो


कुचमादी टाबर

गीगलै रै मामै रो बेटो गोपाल ई कुवापूजन रै कार्यक्रम में सामिळ हुयो। वो घणो चंचळ अर सरारती टाबर है। आप निरख सको हो वीं री एक झलक...




गीगलै रा संजय ताऊजी बैठा जाणै कांई सोचै...




Sunday, June 20, 2010

Wednesday, June 2, 2010

मिलग्यो... मिलग्यो...

लारलै कैयी दिनां सूं गीगलौ आप रै नांव री थरपणा रो इंतजार करै हो अर म्हारा सैंग रिस्तेदार अर सुभचिंतक ई। पण म्हैं इण मामलै में कीं बेसी ई संवेदनशील हुर्ययो हो। तीस जून नांव थरपण सारू तै दिन हो। बीं दिन घांघू रा मानीजता पंडित सिरी महावीर प्रसाद महर्षि जका कदै ई खुद म्हां रो ई नामकरण संस्कार संपन्न करायो हो, म्हारै आंगणियै पर्धाया। परंपरा रै मुजब विधि-विधान रै बाद आप रो पतड़ो देख‘र वै बतायो कै सिंग रासि पर कोयी नांव आपां थरप सकां हां। वै कैयी नांव ई आप कानीं सु सुझाया अर वां मांय सूं अेक नांव ‘मोहन’ री’ फूंक ही नानड़ियै रै कान में मार दी। म्हैं वीं दिन सूं ही ‘म’ सूं सरू हुवण वाळै सुवणै से नांव री तलास में हो।
बडेरा भाई दुलाराम तीस जून नैं दोपारी मांय एसएमएस कर‘र पूछ्यो कै नानड़ियै रो नांव कांई तै हुयो। म्हैं पड़ूत्तर में ‘मोहन’ लिख‘र भेज्यो तो वां रो जवाब आयो- ‘मोहन दास कुमार चंद घांघू’ । वां रो मैसेज पढ‘र म्हें हांस्या बिना नीं रैय सक्यो।

पण नांव तो कोयी ओर ही तै हुणो हो। सो म्हैं अेक लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनायी। म्हैं कई भायलां नै मैसेज कर बढिया सो नांव पूछ्यो। सगळा आप-आप रै हिसाब सूं आप री राय दी अर कैयी सुवणा नांव म्हारी सामीं आया। इण लिस्ट में अै सैंग नांव सामिल हा- मृणाल, मोहनीश, मुकुल, मुंकुद, मयंक, मयूर, मानव, मृदुल, मनमीत, मीतेश, मधुर, मधुकर, मधुप, मातेश, मिट्ठालाल, मुसद्दीलाल, मोहनलाल, मनोहर लाल, मोतीलाल, मिहिर... अैड़ा घणा नांवां रा सुझाव आया। भाई गौरव शर्मा आप रै सुझाया नांवां री लिस्ट में ओजूं अेक नांव सामिल करणो नीं भूल्या... माउंट एवरेस्ट। वां री भावनावां अर सुभकामनावां रो सम्मान करू। सैंग भायला अर सुभचिंतका रो ई हिड़दै सूं आभार कै वै इण प्रक्रिया में सामिल हुया। आ कामना करूं कै वां रो ओ ही प्यार अर दुलार गीगलै नैं मिलतो रैयसी अर गीगलौ नांव म्हारो रोसन करसी।
पण अै सगळा नांव ई तै नीं हो सक्या। ईस्यो कोयी नांव सामीं नीं र्आयो हो, जकै नैं सुणता ई कैयो जा सकै कै, ‘ हां, ओ ही।’ आज दो‘पारां मित्र चंद्रशेखर पारीक दफ्तर में आया। वै आंवता ई पूछ्यो, गीगलै रो हाल अर वीं रो नांव। नावं सारू म्है वां नै ई पूछ लियो, कै आप बतावो। वै पड़ता ई बोल्या- मैत्रेय। अर म्हैं मन ई मन कैयो कै - ‘’ हां, ओ ही’ । फेरूं ई मनड़ै रै संतोख सारू मित्र राजीव नै पूछ्यो। थोड़ो मनन कर‘र वै ही बोल्या- ‘हां, ओ ही’ । इयां नांव तै हुग्यो।

इब आप गीगलै नैं मैत्रेय कैय‘र पुकार सको। नांव की भारी-भरकम है। जिम्मेदारी हाळो सो काम है पण गीगलै सूं आस करूं कै नांव रो बोझ, जिम्मेदारी नैं उठासी। आप सैंग री सुभकामनावां जरूरी है...

Thursday, May 27, 2010

गीगलै नैं हंसावै बेमाता...


आजकालै गीगलै कन्ने वीं रा नानीजी आयोड़ा है। नानीजी गीगलै रो घणो कोड करै अर एक घड़ी ही गीगलै नैं छोड‘र नीं जावै। गीगलो ई नानीजी रै साथै घणो राजी है। नानीजी गीगलै रो घणो ध्यान राखै अर साथै ही आप री गीगली रो ई। गीगलै रा दादीजी यानी म्हारी मां ई गीगलै री नानीजी रै आवणै सूं घणी सौराई मैसूस करै क्यूंके इण सूं वां नैं ई घणो आराम होयग्यो। नीं तो गीगलो एक घड़ी री ही फुरसत नीं लेवण देंवतो।


नौकरी अर दूजां कामां सूं घड़ी दो घड़ी फुरसत मिलै तो म्हैं ई गीगलै नैं गोदी ल्यूं, खिलावूं अर कोड करूं। पण गीगलो हाल म्हारै इसारा पर नीं हांसै। म्हैं घणी कोसिस करूं तो नीं हांसै। हां, आप री मरजी हुवै जद मुळक‘र जी राजी कर ज्यावै। गीगलै रा नानीजी कैवे, कै हाल गीगलै नैं बेमाता हंसावै, रूवावै। बेमाता हंसावै, जद गीगलो सुत्यो-सुत्यो नींदा में ई हांसै। बेमाता री माया ई अपरंपार है...।


खैर, तीस तारीख यानी रविवार नैं गीगलै रो नांव थरपीजसी। हाल म्हैं सगळा घरवाळा नावां माथै घणो चरचो करां पण हाल की तै नीं हुय सकै। पंडत जी रासि बतासी, बीं रै बाद ई कोयी नांव तै हुय सकै। पण फिलहाल जित्ता मुंह, उत्ता ही नांव।

Tuesday, May 25, 2010

सुभकामनावां, बधाइयां अर धन्यवाद...

22 मई नैं ब्रह्म-मुहूर्त में लाडलै रो जलम मेरी जिनगाणी की सैंग सूं ज्यादा खुसी देवण वाळी घटना है। म्हें ई नीं, म्हारै घर रा सगळा ही सदस्य भोत ई खुस है। अस्सी रै औळै-दोळै रा म्हा रा दादीजी, म्हारी मां, म्हारा पिताजी, म्हारा भाईजी, भाभीजी अर छोटी भैण ममता सगळा री खुसी रो पार नीं है। और भी सगळा रिस्तेदारां, सगा-परसंग्या री सुभकामनावां मिल रैयी है। ई खुसी मांय घणो ईजाफो हुय जावै है जद परिवार रै अलावै किणी और री सुभकामनावां मिलै है। 22 मई री 5.40 एएम रै पछै सैकड़ूं लोगां आप री सुभकामनावां म्हा नैं दीन्यी है। बडेरा भाई साहित्यकार दुलाराम सहारण अर पत्रकार अरविंद चोटिया म्हारै लाडलै रै जलम री घटना रो इत्तो बेगो प्रचार--प्रसार र्कयो कै हाथूंहाथ फोनां अर मैसेजां री लैण लागगी। अै दोनूवां री वजै सूं इत्ती सुभकामनावां मिली कै म्हनैं कैयी दफा तो ईयां लागै लाग्यो जाणै म्है भोत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति हूं अर कित्ता लोगां रो जुडाव म्हारै साथै है। कित्ता ई नांव ईस्या हा, जका सूं खुद म्हनैं मिल्यां लांबो बगत बीतग्यो पण वै ई मौके म्हनैं सुभकामनावां देणी नीं भूल्या। एवरेस्ट फतह करणै वाळा भाई गौरव शर्मा आप रै बधाई संदेश मांय लिख्यो कै म्है म्हारे लाडलै नैं वां रै साथै एवरेस्ट माथै जरूर भेजूं।
पण आ सुभकामनावां मांय एक बात विसेस रैयी। घणखरा लोगां मोबाइल सूं संपर्क कर सुभकामनावां दीन्यी। हाथूंहाथ मिलणों संभव भी नीं हुवै। पण सुजानगढ रा भाई घनश्याम नाथ कच्छावा री सुभकामनावां जद म्हनैं चिट्ठी रै जरियै सूं मिली तो घणो हरख हुयो। आजकालै कुण किणनै चिट्ठियां लिखै। हर आदमी बगत रो गुलाम है। पण चिट्ठी मिलणै पर जको आणंद अर उमाव मन मैं पैदा हुवै, बिस्यो अणभव मोबाइल रै मैसेज नीं देय सकै। भाई घनश्याम जी री चिट्ठी ई वास्तै अणमोल है कै आजकालै अै चिट्ठियां दुर्लभ प्रजातियां में शामिल हुयगी है। भाई घनश्याम नैं घणो-घणो धन्यवाद। अर और सगळा सुभचिंतकां नैं ई घणौ-घणौ धन्यवाद जका म्हारै नानड़ियै नैं आप री आसीस अर सुभकामनावां दीन्यी है।
एक ओर खुसी री बात आ है कै ज्यादातर मैसेज राजस्थानी भासा में लिख्योड़ा मिल्या है। जै जै राजस्थान, जै जै राजस्थानी।
फेर मिलां...

Saturday, May 22, 2010

गीगलो

गीगलो,
मतलब नान्‍हो टाबर,
नवजात शिशु।

आज दिनुंगै 5 बज'र 40 मिनट रै शुभ मुहुर्त म्‍हारै आंगणै पगलिया मेल्‍या गीगलै।

हरख अर उमाव रो बगत।

आप सैंग री आसीस।