22 मई 2011 नैं आथणकै गीगलै मैत्रेय आप रो जन्म दिन मनायौ। आज सूं ठीक अेक साल पैल्यां गीगलौ आप रै बीच पर्धायो। आज अेक साल पूरौ करणै पर गीगलै नैं घणी सुभकामनावां अर मोकळी आसीस...
इण मौके लिरीज्योड़ी कीं फोटुवां...
बियां तो गीगलौ मैत्रेय आप ई दसवों मी‘नो पूरा र्कयो है पण दुनियावी रिस्ता रै हिसाब सूं वीं अेक कदम आगै बढायो है। २० मार्च नें धूलंडी रै दिनुगै सै पैली तड़कै 4.23 पर म्हांरा मां जाया संजय भाई सा‘ब री कॉल आयी कै म्हें अेक भतीजै रो काको अर गीगलौ मनु (मैत्रेय रो घर रो नांव) बडो भायी साब बणग्यो है। सनेसो सुण‘र घणो हरख हुयौ। हालांकि मनु हाल अै बातां के समझै पण म्हें जद वीं ई टेम वीं नैं ओ सनेसो सुणायो तो वौ भौत ई जोर सूं हांस्यो। आस करूं कै आ ई भावना मनु उमर भर आप रै छोटै भाई सारू राखै अर छोटोड़ो ई मनु नैं पूरा मान देवै। राम-लिछमण री ज्यूं जोड़ी बणी रेवै कोयी दुनियावी सुवारथ वां दोन्यूवां माथे इत्तो हावी नीं हुवै कै वां में कोई दरार निगै आवै।
पूरे घर-परिवार में ई हरख रो माहौल है। भाई साब रै पैल्यां सूं अेक बेटी रानू है, इब गीगलै रै जलम सूं वां रो परिवार पूरण होयौ।
छोटै गीगलै रै सुदीरघ अर यशपूरण जीवण री सुभकामनावां...
गीगलै री सरदी सूं आ पैली टक्कर ही... गीगलै नें इत्ता दिन ओ ठा ई नीं हो कै अठै सरदी रा दिन इयां करड़ा निकलै। अर गीगलै रै भाग सूं इबकाळै सरदी क्यूं और ई करड़ी ही। पैली सूकी सरदी पड़ी। फेर पावठ होगी। कैयी दिन पावठ होवणै सूं गीगलौ बारै ई नीं निकळ सक्यो। फेर धूर अर कोहरै सूं मौसम सरद रैयो। इण बिचाळै गीगलौ सरदी-जुकाम री चपेट में आयग्यो। सरदी-जुकाम निमोनियै रो रूप ले लिन्यौ। बां दिनां में गीगलौ गोयल अंकल री दवायां रा खूब मजा लिया। एक दिन तो ग्लूकोज री ड्रिप ई लगाणी पड़ी। पीड़ा रा वां दिनां में ई गीगलै री हिम्मत तारीफ रै काबिल रैयी... गीगलौ बीमारी रै आगै कदेई हार नीं मानीं। पण फेर ज्यान कोडी‘क ही। सो कीं कमजोर सो निगै आवै लाग्यो...। थोड़ी सुस्ती ई रैंवती। बारै ठंडी हवा चालती अर चौबीस घंटा बिस्तरां मांय गीगलै रो जी नीं रमतो... खैर, इब दिन कीं ठीक है... ऊबरैळो सो है... गीगलौ सारै दिन रमै गुवाडी में... रेत में गुडालिया चालै जद वीं रो ई जी सोरो रैवे अर वीं री परदादी, दादी, दादै, मम्मी, पापा, ताऊ-ताई अर बाकी सैंग देखणिया रो ई।
आजकालै वीं री भुआ ममता ई आपरी गीगली साथै गीगलै कन्नै आय रैयी है। गीगलौ बियां तो भुआ कन्नै खूब राजी रैवे। पण गीगली ‘लकी’ नैं जे कोयी दूसरो ले लेवै तो फेर ‘इसको’ होज्या। रोवै, जाणैं कैंवतो होवै, गीगली नैं छोड, मन्नैं ले।
दो चार-दिन सूं अेक नाम बोलै ई लाग्यो- ‘टाटा’ । हाथ हलावै अर बोलै - ‘टाटा’ । सगळा रीं मनुहार पर बोल ज्यावै। ओर ई भोत कीं बोलै। पण म्हारै समझ नीं आवै। म्हारै के, किण रै ई नीं आवे...। हां, दो-चार दिन पैली डीडी उर्दू पर अेक मुसायरो सुणै हो म्हें। गीगलौ ई बिस्तरां में रमै हो। इत्तै में ही टेलीविजन पर अेक शे‘र पर सगळा बोल्या- वाह! वाह! अर गीगलौ ई दाद दिया बिना नीं रैय सक्यो। चाणचकै ई बोल्यो- ‘वाह!’ म्हैं भोत खुस होयो। बडो होसी जद मेरी सगळी कविता अर गजल सुणा देस्यूं। अेक श्रोता तो तैयार होयो। इब आणै वाळे बगत में साहितकारां नैं श्रोता अर पढेसरी इयां ई त्यार करणा पड़सी।
आज दिनुगै गीगलौ आप रै दादै री गोदी में हो। इत्ते में ही अेक कागलो मुंडेर पर आय‘र बैठ्यो। गीगलो बियां चिड़ी-कागला नैं देख‘र घणो राजी रैवे। दादोजी कागलै नैं देखतां ई बोल्या- ‘देख, बेटा काग।’ अर गीगलौ ई पड़ूत्तर दिन्यौ- ‘काग।’ म्हैं सगळा भोत खुस होया।
गीगलै नैं गोडालिया चालता कई दिन होग्या। इब उडीकां- कद पगां चालै। बियां कोसिस घणी करै, खड़्यो हुवणै री। म्हारा हाथ पकड़‘र खड़्यो ई होयज्या। पण आपूंआप कद खड़्यो होवै, उडीक है...